सर्वप्रथम Certainly कोलिकर (1880 ई.) ने माइटोकॉण्ड्रिया की खोज की। तत्पश्चात् 1890 ई. में अल्टमान ने इसका वर्णन (bioplast) के नाम से किया।
बेन्डा ने 1897 में इन रचनाओं को माइटोकॉण्ड्रिया नाम दिया।
माइटोकॉण्ड्रिया में कार्बनिक पदार्थों का ऑक्सीकरण होता है, जिससे काफी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है।
इस कारण माइटोकॉण्ड्रिया को कोशिका का पावरहाउस कहा जाता है।
इसे कोशिका का ऊर्जा गृह इसलिए कहते है कि 36ATP अणु जो कि एक ग्लूकोज अणु के टूटने से बनते है उनमें 34ATP माइटोकॉण्ड्रिया में ही बनते है।
• माइटोकॉण्ड्रिया, बैक्टीरिया तथा नीले-हरे शैवालों की कोशिकाओं को छोड़कर, सभी पौधों तथ जन्तुओं की समस्त जीवित कोशिकाओं में पाये जाते है।
इनकी लम्बाई सामान्यतः 1.5 तक होती है। माइटोकॉण्ड्रिया की संख्या भी मिन्न-भिन्न कोशिकाओं में अलग-अलग होती हैं।
* राइबोसोम यह राइबोन्यूक्लिक एसिड नामक अम्ल व प्रोटीन से बने होते हैं।
यह प्रोटीन संश्लेषण के लिये उपयुक्त स्थान प्रदान करते है।
राइबोसोम की खोज 1955 ई. में पैलाडे ने की थी।
• यह डमरू आकार में गोलाकार होते हैं। ये आकृति में 140-160A0 व्यास वाले सघन सूक्ष्म कण होते हैं।
• राइबोसोम सभी जीवित कोशिकाओं में पाए जाते है या अन्तः प्रद्रव्यी जालिका से जुड़े रहते हैं।
ये माइटोकाण्ड्रिया, हरित लवक एवं केन्द्रक में भी पाये जाते है।
• 70S राइबोसोम आकार में छोटे होते है। एवं इनका अवसादन गुणांक 708 होता है।
ये माइटोकॉण्ड्रिया, क्लोरोप्लास्ट एवं बैक्टीरिया आदि में पाये जाते है।
• 808 राइबोसोम आकार में कुछ बड़े होते है और इनका अवसादन गुणांक 80S होता है।
ये उच्च विकसित पौधों एवं जन्तु कोशिकाओं में पाए जाते है।
* लाइसोसोम इसकी खोज डी-डुबे नामक वैज्ञानिक ने की थी।
यह सूक्ष्म व इकहरी झिल्ली से घिरी थैली जैसी रचनाएँ होती है।
इसका मुख्य कार्य बाहरी पदार्थों का भक्षण एवं पाचन करना है। इसे आत्महत्या की थैली कहा जाता है।
• ये अधिकतर जन्तु कोशिकाओं में मुख्य रूप से एन्जाइम अभिक्रियाएँ करने वाली कोशिकाओं, जैसे अग्नाशय, यकृत, मस्तिष्क, थायरॉइड तथा गुर्दे आदि में पाए जाते है।
• लाइसोसोम में अनेक एन्जाइम पाए जाते है; जैसे प्रोटिएज, राइबोन्यूक्लिएज, डिऑक्सीराइबोन्यूक्लिएज, फॉस्फेटेज आदि। यह अम्लीय अपघट्य कहलाते है।
• भोजन की कमी के समय लाइसोसोम कोशाद्रव्य में स्थित प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, लिपिड्स आदि का पाचन करते है।
• कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार लाइसोसोम के फटने से ही कोशिका में विभाजन आरंभ हो जाता है। ?
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