ज़ैरे इबोलावायरस (Zaire ebolavirus) इबोलावायरस जीनस का एक सदस्य है, जो इबोला वायरस रोग (EVD) का सबसे सामान्य और घातक कारण है। इसे आमतौर पर "इबोला वायरस" के रूप में जाना जाता है। यह वायरस 1976 में पहली बार डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो (तत्कालीन ज़ैरे) के यंबुकु गांव में पहचाना गया था, इसलिए इसे "ज़ैरे इबोलावायरस" नाम दिया गया।
विशेषताएँ:
परिवार: यह Filoviridae परिवार का सदस्य है।
संरचना: ज़ैरे इबोलावायरस एक रैखिक, सिंगल-स्ट्रैंडेड RNA वायरस है।
मृत्युदर: इस वायरस के कारण होने वाली मृत्यु दर 60% से 90% तक हो सकती है, जो इसे सबसे घातक वायरसों में से एक बनाता है।
संक्रमण स्रोत:
प्राकृतिक स्रोत: फल खाने वाले चमगादड़ को इबोला वायरस का प्राकृतिक मेज़बान माना जाता है।
संक्रमण के तरीके: संक्रमित मनुष्यों और जानवरों के रक्त, तरल पदार्थ, या संक्रमित सतहों के संपर्क में आने से फैलता है।
लक्षण:
प्रारंभिक लक्षण: बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश।
बाद के लक्षण: उल्टी, डायरिया, दाने, आंतरिक और बाहरी रक्तस्राव।
लक्षण सामान्यतः वायरस के संपर्क में आने के 2-21 दिनों के भीतर दिखाई देते हैं।
उपचार और रोकथाम:
उपचार:
कोई विशिष्ट दवा नहीं है, लेकिन सहायक देखभाल, जैसे हाइड्रेशन, ऑक्सीजन सपोर्ट, और संक्रमण के इलाज से मृत्यु दर को कम किया जा सकता है।
कुछ एंटीवायरल दवाएं और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार विकसित किए गए हैं।
टीकाकरण:
rVSV-ZEBOV नामक टीका ज़ैरे इबोलावायरस के खिलाफ प्रभावी है।
रोकथाम:
संक्रमित व्यक्तियों से दूरी बनाए रखना।
व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (PPE) का उपयोग।
संक्रमित क्षेत्रों में उचित स्वच्छता का पालन।
महामारी का इतिहास:
ज़ैरे इबोलावायरस से संबंधित बड़ी महामारियों में 2014-2016 के पश्चिम अफ्रीकी प्रकोप शामिल हैं, जिसमें हजारों लोग प्रभावित हुए थे। इस वायरस का प्रबंधन और निगरानी अभी भी वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए एक प्रमुख चुनौती है।
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