पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। "बल जिसमें पृथ्वी सभी वस्तुओं को अपनी ओर खींचती है, पृथ्वी का गुरुत्वीय बल अथवा गुरुत्व कहलाता है।
मान लें और m. द्रव्यमानों की दो वस्तुएँ A और B एक दूसरे से दूरी पर रखी हैं इन दो वस्तुओं के बीच आकर्षण का बल F होता है। अब गुरुत्व के विश्वव्यापी नियम के अनुसार
'गुरुत्वाकर्षण का विश्वव्यापी नियम : विश्व में प्रत्येक वस्तु एक बल से दूसरी वस्तु को आकर्षित करती है जो उनके द्रव्यमानों के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है और उनके बीच दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
मान लें और m. द्रव्यमानों की दो वस्तुएँ A और B एक दूसरे से दूरी पर रखी हैं इन दो वस्तुओं के बीच आकर्षण का बल F होता है। अब गुरुत्व के विश्वव्यापी नियम के अनुसार
गुरुत्वाकर्षण बल, F = Gx mx m₂/r²
जहाँ, G एक स्थिरांक है जो" सार्वत्रिक गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक" कहलाता है।
गुरुत्वीय त्वरण :- स्वतंत्र रूप से पृथ्वी की ओर गिरती किसी वस्तु के वेग में प्रति सेकण्ड होने वाली वृद्धि है।
इसे से प्रदर्शित करते है। B का प्रमाणिक मान 45°
अक्षांश और समुद्र तल पर 9.5m / see होता है।
गुरुत्वीय स्थिरांक, G का मूल्य
यदि m, m = 1 kg
तथा । = 1m
तो F = G
अतः गुरुत्वीय स्थिरांक G ऑकिक रूप से गुरुत्वाकर्षण के बल के बराबर होता है जो एक दूसरे से इकाई दूरी पर रखी हुई ईकाई द्रव्यमानों की दो वस्तुओं के बीच पाया जाता है।
सार्वनिक गुरुत्वीय स्थिरांक G का मूल्य
6.67 x 10 Nm / kg' पाया
केपलर के ग्रह गति के नियम : 1. केपलर का प्रथम नियम: दीर्घवृत्तीय कक्षा के दो नाभिकों में से एक पर सूर्य सहित सूर्य के चारों ओर ग्रह दीर्घवत्तीय कक्षाओं में गति करते हैं।
3. केपलर का तृतीय नियम:
सूर्य से ग्रह की औसत दूरी का घन समय के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है जिसे वह सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाने में लेता है।
इस नियम को निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है।
अथवा. r³=T2
r = स्थिरांक x T2
जहाँ । = सूर्य से ग्रह की औसत दूरी
और 7 = ग्रह की समय अवधि (सूर्य के चारों ओर)
के तृतीय नियम के अनुसार यदि कोई वस्तु किसी दूसरी वस्तु न्यूटन का गति का तृतीय नियम तथा
गुरुत्वाकर्षण: न्यूटन के ऊपर बल लगाती है तो दूसरी वस्तु पहली बराबर और विपरीत बल लगाती है। अतः पृथ्वी जब किसी वस्तु के ऊपर के ऊपर आकर्षण का बल लगाती है तो वस्तु भी विपरीत दिशा पृथ्वी के ऊपर समान बल में
ध्रुवो पर पृथ्वी के घूर्णन होने से वस्तु पर प्रभाव :
”यदि भिन्न भिन्न द्रव्यमान की दो वस्तुओं को स्वतंत्र रूप से
"ऊपर से गिराया जाता है तो वे एक साथ पृथ्वी पर पहुँचेगी ।
"गुरुत्वीय त्वरण का मान भिन्न भिन्न स्थानों पर अलग अलग होता है।
"भूमध्य रेखा पर वस्तु का भार सबसे कम व ध्रुवो पर सबसे अधिक होता है।
"किसी वस्तु का भार पृथ्वी के केन्द्र में शून्य होता है।
"पृथ्वी तल से ऊपर या नीचे जाने पर वस्तु के गुरुत्वीय त्वरण का मान घटता है।
"चन्द्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान, पृथ्वी को अपेक्षा 1/6 भाग होता है।
"यदि पृथ्वी अपने अक्ष के परितः घूमना बन्द कर दें तो ध्रुवों के अलावा अन्य स्थानों पर वस्तु के भार में वृद्धि हो जायगी ।
"यदि पृथ्वी तेजी से घूमने लगे तो केवल ध्रुवों के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर वस्तु के भार में कमी हो जायगी
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